गीतिका/ग़ज़ल

दर्द में भी मुस्कुराना सीख लो….

दर्द में भी मुस्कुराना सीख लो।
चेहरे पर चेहरा लगाना सीख लो॥

तुमको रोता देखकर हंसने लगेगें
अपनों से आंसू छुपाना सीख लो॥

खुशियां खुद ढूढेंगी घर का रास्ता।
गम के पल हंसकर बिताना सीख लो॥

जीत लोगे हर लडाई गैरों से।
अपनों से गर पार पाना सीख लो॥

हर कोई वारेगा तुम पर जान-ओ-दिल।
खुद के दिल से दिल लगाना सीख लो॥

चैन से तुमको अगर सोना है तो।
झूठ से दामन बचाना सीख लो॥

दुनियां माने या ना माने ग़म नही।
अपने मन को बस मनाना सीख लो॥

सतीश बंसल

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.

One thought on “दर्द में भी मुस्कुराना सीख लो….

  • विजय कुमार सिंघल

    वाह वाह ! बहुत खूब !!

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