गीत/नवगीत

बीते पल भी वापिस लाना…..

है आसान बहुत मेरी, हर एक निशानी लौटाना।
गर मुमकिन हो तो मेरे, बीते पल भी वापिस लाना॥

माना लौटा दोगे मेरे खत, मेरी तस्वीरों को।
लौटा दोगे मेरे उपहारों की, सब शमसीरों को॥
नामुमकिन होगा लेकिन कुछ लम्हों का वापिस आना…
गर मुमकिन हो तो मेरे, बीते पल भी वापिस लाना……

नाम आपके जो कर दी थी, वो धडकन भी लौटा दो।
गर लौटाना मुमकिन हो तो, पावन तन भी लौटा दो॥
गर वापिस ला सकते हो तो, मेरे सपने भी लाना….
गर मुमकिन हो तो मेरे, बीते पल भी वापिस लाना……

वो मुस्काती सुबह, सिन्दूरी शाम क्या लौटा पाओगे।
जो कुछ तुमको किया समर्पण, वो भी क्या लौटाओगे॥
गर सम्भव हो सके तो मेरा, वो सम्मान भी लौटाना…
गर मुमकिन हो तो मेरे बीते पल भी वापिस लाना….

ज़ज़बातों से खेल तोडना, फितरत वही तुम्हारी है।
पर दिल जान वारती सब कुछ, नारी आज भी नारी है
विनती है बस इतनी खेल ना, ये नव प्रीत में दोहराना….
गर मुमकिन हो तो मेरे, बीते पल भी वापिस लाना…..

सतीश बंसल

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.