गीत
चहू ओर अन्धेरा छाया है
ये रैना घनी अन्धेरी है।
मै तेरे प्यार मे पागल हूँ ।
बस यही खता अब मेरी है ।
मै इन्तजार मे बैठी हूँ ।
तुम लेने मुझको आओगे ।
दुल्हन मुझे बनाकर अपनी ।
जहा पार ले जाओगे ।
चहू ओर अन्धेरा छाया है ।
ये रैना घनी अन्धेरी ह ।
मै तुझमे बसी हुई ऐसे ।
जैसे चाद के साथ चकोरी है ।
तू है मेरे जीवन की डोरी ।
हर सास मेरी अब तेरी है ।
चहू ओर अन्धेरा छाया है ।
ये रैना घनी अन्धैरी है ।
मै तेरे प्यार मै पागल हूँ ।
बस यही खता अब मेरी है
— अनुपमा दीक्षित ‘मयंक’