गीत/नवगीत

गीत

चहू ओर अन्धेरा छाया है
ये रैना घनी अन्धेरी है।
मै तेरे प्यार मे पागल हूँ ।
बस यही खता अब मेरी है ।
मै इन्तजार मे बैठी हूँ ।
तुम लेने मुझको आओगे ।
दुल्हन मुझे बनाकर अपनी ।
जहा पार ले जाओगे ।
चहू ओर अन्धेरा छाया है ।
ये रैना घनी अन्धेरी ह ।
मै तुझमे बसी हुई ऐसे ।
जैसे चाद के साथ चकोरी है ।
तू है मेरे जीवन की डोरी ।
हर सास मेरी अब तेरी है ।
चहू ओर अन्धेरा छाया है ।
ये रैना घनी अन्धैरी है ।
मै तेरे प्यार मै पागल हूँ ।
बस यही खता अब मेरी है

अनुपमा दीक्षित ‘मयंक’

अनुपमा दीक्षित भारद्वाज

नाम - अनुपमा दीक्षित भारद्वाज पिता - जय प्रकाश दीक्षित पता - एल.आइ.जी. ७२७ सेक्टर डी कालिन्दी बिहार जिला - आगरा उ.प्र. पिन - २८२००६ जन्म तिथि - ०९/०४/१९९२ मो.- ७५३५०९४११९ सम्प्रति - स्वतंत्र लेखन छन्दयुक्त एवं छन्दबद्ध रचनाएं देश विदेश के प्रतिष्ठित समाचार पत्रो एवं पत्रिकाओ मे रचनाएं प्रकाशित। शिक्षा - परास्नातक ( बीज विग्यान एवं प्रोद्योगिकी ) बी. एड ईमेल - adixit973@gmail.com