प्रेम निवेदन
तुम एक बार चले आओ
ये प्रेम निवेदन कर स्वीकार
अगर बना ना सको रूक्मिणी
राधा समझ करो अन्गीकार
दूर कभी ना जाना हमसे
विनती यही हमारी है
बिना तुम्हारे जीवन कैसा
सासो में लाचारी है
तुम बन जाना प्रेम का सागर
एक नदी मैं बन जाऊं
अन्तकाल में आकर केवल
तेरा दामन मैं पाऊ ॥
— अनुपमा दीक्षित मयंक
आगरा
बहुत बढिया लगी .