कविता

प्रेम निवेदन

तुम एक बार चले आओ

ये प्रेम निवेदन कर स्वीकार

अगर बना ना सको रूक्मिणी

राधा समझ करो अन्गीकार

दूर कभी ना जाना हमसे

विनती यही हमारी है

बिना तुम्हारे जीवन कैसा

सासो में लाचारी है

तुम बन जाना प्रेम का सागर

एक नदी मैं बन जाऊं

अन्तकाल में आकर केवल

तेरा दामन मैं पाऊ ॥

— अनुपमा दीक्षित मयंक
आगरा

अनुपमा दीक्षित भारद्वाज

नाम - अनुपमा दीक्षित भारद्वाज पिता - जय प्रकाश दीक्षित पता - एल.आइ.जी. ७२७ सेक्टर डी कालिन्दी बिहार जिला - आगरा उ.प्र. पिन - २८२००६ जन्म तिथि - ०९/०४/१९९२ मो.- ७५३५०९४११९ सम्प्रति - स्वतंत्र लेखन छन्दयुक्त एवं छन्दबद्ध रचनाएं देश विदेश के प्रतिष्ठित समाचार पत्रो एवं पत्रिकाओ मे रचनाएं प्रकाशित। शिक्षा - परास्नातक ( बीज विग्यान एवं प्रोद्योगिकी ) बी. एड ईमेल - [email protected]

One thought on “प्रेम निवेदन

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    बहुत बढिया लगी .

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