ग़ज़ल
सर झुके गर कभी तो नमन के लिए
जान देनी पड़े तो वतन के लिए
सर फरोशी तमन्ना दिलों में रहे
बात कोई करो तुम अमन के लिए
मुस्कुराते रहें आप यूँ ही सदा
फूल जैसे खिले हों चमन के लिए
देश पर जान अपनी फ़िदा कर चलें
जिस्म पर हो तिरंगा कफ़न के लिए
आज संजय हुआ है दीवाना यहाँ
आप आये नहीं क्यूँ मिलन के लिए
— संजय कुमार गिरि
देश पर जान अपनी फ़िदा कर चलें
जिस्म पर हो तिरंगा कफ़न के लिए बहुत बढिया .