राजनीति

हैदराबाद की घटना पर विपक्षी विलाप- राजनैतिक पतन

हैदराबाद विश्वविद्यालय के निलम्बित दलित छात्र रोहित वेमुला की आत्महत्या के बाद हैदराबाद विश्वविद्यालय ही नहीं लगभग पूरा हैदराबाद व तेलंगाना राज्य सहित पूरा देश आंदोलित हो रहा है। जैसे ही हैदराबाद से छात्र की आत्महत्या और केंद्रीय मंत्री बडांरू दत्तात्रेय सहित, विवि के कुलपति अप्पा राव, अभाविप नेता सुशील कुमार और विष्णु के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने व उन पर एफआइआर दर्ज होने का समाचार मीडिया जगत में आया उसके बाद हर बार की तरह देश के सभी तथाकथित धर्मनिरपेक्ष आंसू बहाने वाले सभी दलों को एक और पर्यटन केंद्र मिल गया। दलित छात्र द्वारा इस प्रकार से आत्महत्या करना वाकई शर्मनाक है। लेकिन जिस प्रकार से इस मामले में एक मंत्री को जिम्मेदार बताया जा रहा है देश के सभी मोदी विरोधी दल इस घटना को दादरी की तर्ज पर भुनाने में जुट गये हैं यह तो देश की राजनीति का घोर पतन है।

समाचार है कि हैदराबाद में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी दल – बल के साथ भ्रमण कर आये हैं। बसपा सुप्रीमो मायावती व कई अन्य नेतागण भी हैदराबाद विश्वविद्यालय का भ्रमण करने जा रहे हैं। हर बार की तरह दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल ने तो तुरंत टिवट करके सारा दोष पीएम मोदी पर ही जड़ दिया है और उनसे माफी मांगने और मंत्री दत्तात्रेय को मंत्रिपरिषद से हटाने की मांग की है। केजरीवल का कहना है कि दलित छात्र की मौत आत्महत्या, नहीं हत्या है । संसद के आगामी सत्र में हंगामा करने के लिए विपक्ष को अब पठानकोट कांड के बाद एक और ज्वलंतशील तथा अपनी सियासत को चमकाने का मौका मिल गया है। तृणमूल कांग्रेस ने भी हैदराबाद कांड की जांच के लिए दो सदस्यीय जांच आयोग हैदराबाद भेजा है। आज देश की राजनीति वाकई बहुत दुःखद हो गयी है कि हर मामले को राजनैतिक रंग दिया जा रहा हैं तथा सभी विरोधी दल एक साजिश के तहत विकास और बहुमत को डिगाना और गिराना चाह रहे हैं।

अभी हाल ही में बंगाल के माल्दा और बिहार के पूर्णिया में तथा उप्र के फतेहपुर में साम्प्रदायिक घटनायें घटी हैं। लेकिन किसी भी राजनैतिक दल के नेता या फिर केजरीवाल जैसे मानसिक रोगी राजनेताओं ने इन घटनाओं की टिवटर के माध्यम से निंदा तक नहीं की और नहीं उन स्थलों का पर्यटन के माध्यम से अंतिम निष्कर्ष तक पहंुचने का साहस जुटाया। और तो और बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार अपने प्रांतों के मुसलमानों की ओछी हरकतों को काफी अच्छी तरह से दबाने का प्रयास कर गये। सभी भाजपा विरोधी दल भाजपा व संघ परिवार को पूरी ताकत के साथ असहनशील घोषित करने पर जुट गये हैं। सबसे सर्वाधिक असहनलशील राजनेता तो ममता बनर्जी हैं जिन्होनें माल्दा घटना की जांच करने जा रहे दल को स्टेशन पर ही गिरफ्तार करवा लिया।

जबकि बिहार में जंगलराज की वापसी हो चुकी है वहां पर प्रतिदिन हत्या, अपहरण, डकैती की घटनाओं को एक बार फिर से बेरोकटोक अंजाम दिया जा रहा है उस पर कोई नहीं बोल रहा है। खबर है कि हैदरबाद में जिस छात्र रोहित वेमुला ने आत्महत्या की है वह अंबेडकर छात्र परिषद(एएमयू) के सदस्य थे। विश्वविद्यालय में अंबेडकर छात्र परिषद और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के बीच वैचारिक टकराव होता रहता था। इसी में एक बार दोनों छात्र गुटों में विश्वविद्यालय परिसर में मारपीट हुई थी। खबरें यह भी हैं कि एक बार अंबेडकर छात्र परिषद ने ेमुजफ्फरनगर बाकी है“ नामक एक फिल्म का प्रदर्शन किया था और आतंकी याकूब मेनन को फांसी देने का विरोध करते हुए खूब प्रदर्शन भी किया था। यह वहीं छात्र परिषद है जिसने कभी ेकिस आफ लव जैसा“ घृणित आयोजन किया था। इसी बात को लेकर विद्यार्थी परिषद के साथ जबर्दस्त टकराव हुआ था। आत्महत्या के आरोपी छात्र सुशील कुमार ने इस गुट पर मारपीट करने का आरोप लगाया था लेकिन वह आरोप साबित नहीं हीे पाया था। कहा जा रहा है कि उसके बाद केंद्रीय मंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने एक पत्र विवि प्रशासन को लिखा। फिर यह भी प्रकाश में आया है कि चार पत्र केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय की ओर से लिखे गये। दोबारा जांच हुई और फिर वह छात्र निलम्बित हो गया था उसके साथ चार साथी और निलम्बित कर दिये गये थे। शिकायतकर्ता छात्र प्रशांत का आरोप है कि दत्तात्रेय ने मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी को पत्र लिखा था हालांकि उसके पहले विश्वविद्यालय की जांच समिति ने रोहित सहित पांचों छात्रों को क्लिनचिट दे दी थी। लेकिन मंत्री महोदय ने विवि को एक नया पैनल बनवाने के लिए पत्र लिखा। इस नये पैनल ने छात्रों के निलम्बन का फैसला लिया था। जिसके कारण वह हताश हो गया था। उधर इस घटना की तह तक जाने के लिये केंद्रीय मंानव संसाधन मंत्रालय ने अपनी एक जांच टीम हैदराबाद विवि भेजी है।

जबकि दूसरी तरफ आत्महत्या करने वाले छात्र रोहित के पास से जो सुसाइड नोट मिला है उसमें उसने किसी को भी दोषी नहीं ठहराया है। यह अंतिम पत्र काफी विशेष अंदाज में लिखा गया है। राहुल के पास से जों अंतिम पत्र बरामद हुआ है वह भी संदेह के घेरे में आ रहा है। वह लिखता है कि ,“उसका दलित परिवार में जन्म एक घातक दुर्घटना थी। वह विज्ञान का छात्र बनना चाहता था।ेलेकिन यह भी दुखद है कि कहीं छात्र रोहित वेमुला की यह आत्महत्या बनावाटी और साजिशन तो नहीं की गयी है। यह पूरा प्रकरण सी. र्बी. आइ. जांच के दायरे में आने वाला है। इस पूरी घटना में गहरी साजिश की बूं आ रही है। वर्तमान समय में केंद्रीय मंत्री बंडारू दत्तात्रेय आंध्र तेलंगना राज्य के काफी बड़े व विपक्ष के अत्यंत लोकप्रिय व ईमानदार नेता है। पूर्व पीएम अटल बिहारी बाजपेयी सरकार मेंभी काफी कददावर भूमिका में थे। तेलंगना में इन दिनों स्थानीय नगर निगमंों व निकायों आदि के चुनावों की गतिविधियां चल रही हैं। भाजपा व उसके सभी सहयोगी दल हैदराबाद व उसके आसपास के नगर निगमों के चुनावंों में पूरी ताकत झोक रहे हैं। वहां पर तेलंगना की चंद्रशेखर राव की क्षेत्रीय पाटी का जबर्दस्त वर्चस्व है। केंद्रीय मंत्री बंडारू दत्तात्रेय के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी ने पूरी ताकत झोक रखी है। वहीं तेलंगना जागृति समिति ने अब पूरे मामले को राजनैतिक रंग दे दिया है। हैदराबाद विवि परिसर सहित पूरे राज्यभर में विरोध प्रदर्शनों की बाढ़ आ गयी है। दक्षिण में भाजपा व संघ के खिलाफ एक नया और अत्यंत खतरनाक मुददा खड़ा कर दिया गया है। सभी राजनैतिक दल इस प्रकरण को अब पूरी ताकत के साथ आगामी विधानसभा चुनावों में उठाने जा रहे हैं। इस घटना को विरोधी विशेषकर केरल, बंगाल और तमिलनाडु में एक हथियार के रूप में उपयोग मंें अवश्य लायेंगे।

एक प्रकार से देखा जाये तो देश का विपक्ष इस समय हताश और निराश है। वह किसी भी प्रकार से पीएम मोदी और भाजपा को बदनाम और अपमानित करना चाह रहा है। आज देश के हालात ऐसे हो रहे हैं कि बाबा राम रहीम का टी. वी. शो में मजाक बनाने वाले को तो तुरंत गिरफ्तार कर लिया जाता है लेकिन पीएम मोदी के लिए अपमानजनक टिप्पणी करने वाले मजा मार रहे हैं। हैदराबाद कांड की पूरी सच्चाई जनता के सामने आनी ही चाहिये और केंद्रीय मंत्री बंडारू दत्तात्रेय और पीएम मोदी को पूरी ताकत के साथ इस विपक्षी साजिश को बेनकाब करना चाहिये। इन सभी तथ्यों को जनता के सामने आना चाहिये कि क्या छात्र रोहित ने आत्महत्या की थीं या फिर कहीं उसके साथियों ने उक्त बेचारे का अपनी व अपने आका दलों की राजनीति चमकाने के लिये उपयोग किया था। रही बात सभी विरोधी दलों की वह तो आतंकियों व देशविरोधी ताकतों के अलम्बरदार बन ही गये हैं।

मृत्युंजय दीक्षित