मुरली
मगन तुम रहे बजाने में मुरली |
पता होंठ पे इसे तुम ने धर ली ||1
सखा जान चाहते तुमको हम तो |
हमारी विशेष तुमने ही सुध ली ||2
लगे तुम मुझे मेरे अपने से ही |
सदा बात प्यार की तुमसे कह ली ||3
कभी भूल भी गये हमको तुम तो
तेरी बात प्यार से हमने सह ली ||4
न कटता समय तेरे बिन अब बिलकुल
मेरा चैन नींद सब तूने हर ली ||5
“दिनेश “