कविता

ओ लाल मेरे

ओ लाल मेरे ओ लाल मेरे
तुम ही जीवन के ख्वाब मेरे
जब से तू परदेश गया है
दिल मे ये इक दर्द नया है
चान्द सितारे वाली जिद तक
पूर्ण करूँगी मै हर हद तक
तू ही मुझको भूल गया है।
दौलत पाकर फूल गया है।
यही अरज करता हूँ तुझसे।
आकर इक दिन मिल ले उससे
मैं समझा दिल को रह लुगाँ!
पिता हूँ बेटा सब सह लुगाँ।
तेरी मां अब सह नही पाती।
आने के सपने ये सजाती।
राह को तेरी तकते तकते।
नैना हमारे कभी न थकते।
आजा हमको देने खुशियाँ!
राह निहारे नित दो अखियाँ

अनुपमा दीक्षित मयंक
आगरा

अनुपमा दीक्षित भारद्वाज

नाम - अनुपमा दीक्षित भारद्वाज पिता - जय प्रकाश दीक्षित पता - एल.आइ.जी. ७२७ सेक्टर डी कालिन्दी बिहार जिला - आगरा उ.प्र. पिन - २८२००६ जन्म तिथि - ०९/०४/१९९२ मो.- ७५३५०९४११९ सम्प्रति - स्वतंत्र लेखन छन्दयुक्त एवं छन्दबद्ध रचनाएं देश विदेश के प्रतिष्ठित समाचार पत्रो एवं पत्रिकाओ मे रचनाएं प्रकाशित। शिक्षा - परास्नातक ( बीज विग्यान एवं प्रोद्योगिकी ) बी. एड ईमेल - adixit973@gmail.com