कविता

मैं शहीद हूँ

वह आज फिर छत पर आई होगी
चॉद से थोड़ी देर बतियाई होगी
तारों पर थोड़ी देर ललचाई होगी
फिर चाँद को देख कोई गीत गुनगुनाई होगी
फिर पायल झनकाती नीचे उतर आई होगी
चाँद से कोई तो पैगाम लाई होगी
वह आज फिर छत पर आई होगी

वह आज मंदिर की सीढ़ीयाँ चढ़ आई होगी
साथ में पूजा की थाल लाई होगी
थाल ने गेंदे की महक फैलाई होगी
उसने मंदिर की घंटी बजाई होगी
और होंठो से कुछ बुदबुदाई होगी
वह आज फिर छत पर आई होगी

ढलती साँझ में वह पनघट से आई होगी
साथ में पानी का घड़ा भर लाई होगी
पनघट पर जब उसकी चुनरी लहराई होगी
सरसों के खेत सी वह भी बलखाई होगी
गीले पदचिह्न द्वार तक छोड़ आई होगी
वह आज फिर छत पर आई होगी

वह आज झुमका कमरे में भूल आई होगी
गाँव की सीमा पर दूर कोई बारात आई होगी
तो शायद उसे मेरी याद आई होगी
वह उसी आम तले आई होगी
आँखें नम न हो इसी में भलाई होगी
वह आज फिर छत पर आई होगी

जब पडोस की टी .वी पर ख़बर आई होगी
वह भी चुपके से यह बुलिटेन सुन आई होगी
कि एक बार फिर सीमा पर लड़ाई होगी
यह सुन वह थोड़ा तो घबराई होगी
फिर उदास कदमों से रसोईघर लौट आई होगी
वह आज फिर छत पर आई होगी

आज फिर मेढ़क टर्राया होगा और बरखा आई होगी
उन पहली बूदों में मेरी गाय तब तक नहाई होगी
जब तक दूसरे खूँटे से वो उसे न बाँध आई होगी
द्वार के बाहर बाबा और चौखट पर माई होंगी
दोंनो ने बूढ़ी ऑखें क्षितिज पर दौड़ाई होगी
वह आज फिर छत पर आई होगी

वह आज आईना देख शर्माई होगी
माथे पर लालिमा सी बिंदी लगाई होगी
और आख़िरी बार उसने माँग सजाई होगी
क्योंकि वह सुबह ऐसी ख़बर लाई होगी
जिससे उसकी ऑख भर आई होगी
वह आज फिर छत पर आई होगी

मेरा दावा है उसकी सूनी कलाई होगी
मेरे गाँव में क्या कहूँ कैसी खामोशी छाई होगी
खेतों में भी अजीब सी चुप्पी छाई होगी
जब द्वार पर मेरे, मेरी ही अर्थी आई होगी
जब फौलादी सीने से मेरे, दुश्मन की गोली चोट खाई होगी
वह आज फिर छत पर आई होगी

*नीतू सिंह

नाम नीतू सिंह ‘रेणुका’ जन्मतिथि 30 जून 1984 साहित्यिक उपलब्धि विश्व हिन्दी सचिवालय, मारिशस द्वारा आयोजित अंतरराष्ट्रीय हिन्दी कविता प्रतियोगिता 2011 में प्रथम पुरस्कार। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में लेख, कहानी, कविता इत्यादि का प्रकाशन। प्रकाशित रचनाएं ‘मेरा गगन’ नामक काव्य संग्रह (प्रकाशन वर्ष -2013) ‘समुद्र की रेत’ नामक कहानी संग्रह(प्रकाशन वर्ष - 2016), 'मन का मनका फेर' नामक कहानी संग्रह (प्रकाशन वर्ष -2017) तथा 'क्योंकि मैं औरत हूँ?' नामक काव्य संग्रह (प्रकाशन वर्ष - 2018) तथा 'सात दिन की माँ तथा अन्य कहानियाँ' नामक कहानी संग्रह (प्रकाशन वर्ष - 2018) प्रकाशित। रूचि लिखना और पढ़ना ई-मेल [email protected]

5 thoughts on “मैं शहीद हूँ

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत सुन्दर !

    • नीतू सिंह

      शुक्रिया

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत सुन्दर !

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    बहुत खूब .

    • नीतू सिंह

      धन्यवाद

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