कविता

बसंत पंचमी

सरस्वती माँ की कृपा से, बसंत पंचमी के पावन महापर्व पर,
हम सब पर विद्या देवी माँ शारदा की असीम कृपा हो जाती है,
सुषम शबनम की नन्ही बूंदे , भी अनमोल मोती बन जाती है,
जब वह बसंत पंचमी के दिन, सरसों के फूलों पर छा जाती हैं ,
रवि की स्वर्णमयी किरणे, धरती का आँगन संवारने आती है
शुभ मुहूर्त में सरस्वती पूजन की रौनक, कितनी बड़ जाती है,
प्रीतमयी मनभावन खुशियों से,हम सब की झोली भर जाती है
सरस्वती माँ की पूजा में जो लगाते है अपना तन और मन-
उस से होता है उनके जीवन में ज्ञान और समृद्धि का विकास,
जलधर भी अम्बर से बरसाते है अमृत, जगाते हैं नयी आस,
वीणा की मधुर तान कानो में गूँजती है,और जगाती है विश्वास
माँ सरस्वती की कृपा से-
सभी सुखो का हो गया है, अब जीवन में समावेश, ,
सबसे प्यार ही प्यार मिलता रहे ,यही है जीवन का उद्देश्य.

— जय प्रकाश भाटिया

जय प्रकाश भाटिया

जय प्रकाश भाटिया जन्म दिन --१४/२/१९४९, टेक्सटाइल इंजीनियर , प्राइवेट कम्पनी में जनरल मेनेजर मो. 9855022670, 9855047845

4 thoughts on “बसंत पंचमी

  • जय प्रकाश भाटिया

    सबसे प्यार ही प्यार मिलता रहे यही है जीवन का उद्देश्य.

  • विजय कुमार सिंघल

    बढ़िया !

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    बहुत बढिया .

  • लीला तिवानी

    प्रिय जय प्रकाश भाई जी, जलधर भी अम्बर से बरसाते हैं अमृत, जगाते हैं नयी आस. बहुत अच्छा रूपक, बहुत अच्छी कविता.

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