हमने दिल को बनया है घर आपका…
हमने दिल को बनया है घर आपका, बांहों के दर खुले हैं।
हम तुम्हारे हुए तुम हमारे हुए, इस ज़हां से भला क्या चाहिये॥
द्वार पलकों के तोरण सजा़ये हुए, राहों में अपनी नज़रे बिछाए हुए।
हार हैं लेकर तमन्ना के कब से खडे, अपनी सांसों को चंदन बनाए हुए॥
आस के दीप हमने जलाए सनम, अब तो आ जाईये अब तो आ जाईये….
हम तुम्हारे हुए तुम हनारे हुए, इस जहां से हमें और क्या चाहिये……
चांद तारों से अनुरोध करके सनम, सामियाना बनाया आकाश को।
संगी साथी नही कोई अपना तो क्या, हमने साथी बनाया है विश्वास को॥
आरजू एक बस आपकी है हमें, बनके विश्वास दिलवर चले आईये…….
हम तुम्हारे हुए तुम हमारे, इस जहां से हमें और क्या चाहिये….
धडकनें गीत गानें को आतुर हुई, प्रेम नगमां सुनाने को आतुर हुई।
अब मोहब्बत है बेचैन दीदार को, रस्में कस्में निभानें को आतुर हुई॥
ये फिज़ाएं भी संवरी है सत्कार को, बन के आनंद के स्वर चले आईये……..
हम तुम्हारे हुए तुम हमारे हुए, इस जहां से हमें और क्या चाहिये…..
सतीश बंसल