गीत/नवगीत

हमने दिल को बनया है घर आपका…

हमने दिल को बनया है घर आपका, बांहों के दर खुले हैं।
हम तुम्हारे हुए तुम हमारे हुए, इस ज़हां से भला क्या चाहिये॥

द्वार पलकों के तोरण सजा़ये हुए, राहों में अपनी नज़रे बिछाए हुए।
हार हैं लेकर तमन्ना के कब से खडे, अपनी सांसों को चंदन बनाए हुए॥
आस के दीप हमने जलाए सनम, अब तो आ जाईये अब तो आ जाईये….
हम तुम्हारे हुए तुम हनारे हुए, इस जहां से हमें और क्या चाहिये……

चांद तारों से अनुरोध करके सनम, सामियाना बनाया आकाश को।
संगी साथी नही कोई अपना तो क्या, हमने साथी बनाया है विश्वास को॥
आरजू एक बस आपकी है हमें, बनके विश्वास दिलवर चले आईये…….
हम तुम्हारे हुए तुम हमारे, इस जहां से हमें और क्या चाहिये….

धडकनें गीत गानें को आतुर हुई, प्रेम नगमां सुनाने को आतुर हुई।
अब मोहब्बत है बेचैन दीदार को, रस्में कस्में निभानें को आतुर हुई॥
ये फिज़ाएं भी संवरी है सत्कार को, बन के आनंद के स्वर चले आईये……..
हम तुम्हारे हुए तुम हमारे हुए, इस जहां से हमें और क्या चाहिये…..

सतीश बंसल

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.