ग़ज़ल : तुम बिन गुलशन खाली है
तुम बिन सब मुस्कानें झूठी साज-सिंगार ये जाली है.
तुम से ही सब हरियाली है तुम बिन गुलशन खाली है.
रोज़ नए कितने ही चेहरे इस दिल को न्यौता देते,
लेकिन मैं भँवरों से पूछूँ तुमसा कोई माली है ?
नगरी-नगरी जाकर गाऊँ मैं तेरे ही गीतों को,
दाद सभी दें पर कानों में गूँजे तेरी ताली है.
सुर्ख नज़ारे, शोख इशारे हर रँग ही चमकीला है,
दिल के कोने-कोने में पर फैली तेरी लाली है.
दर्द न जाने क्यों ज्यादा ही आज आमादा डसने को,
शाम न जाने क्योंकर लगती रात से ज्यादा काली है.
Archna ji accept Good wishes for so beautiful Gazal.
Keep it up
बहुत खूबसूरत ग़ज़ल !
बहुत बढ़िया