कविता : ज्यादा कुछ तो नहीं हुआ
यूँ तुझसे जुदा होकर मुझको,
ज्यादा कुछ तो नहीं हुआ,
बस थोड़ा सा दिल टूटा है,
और लगता है रब रूठा है,
अब नींद ना आए रातों को,
दिल याद करे उन बातों को,
जो हम-तुम करते रहते थे,
और यूँ ही हँसते रहते थे,
बिन तेरे ओ मेरे दिलबर,
अब काटे वक्त ना कटता है,
यूँ तुमसे जुदा होकर मुझको,
ज्यादा कुछ तो नहीं हुआ,
आँखों ने बरसना सीख लिया,
और हमने तड़पना सीख लिया,
अब शामें हैं तनहाई की,
और दौलत है रुसवाई की,
करके याद वो मंजर अब,
दिल खून के आँसू रोता है,
यूँ तुमसे जुदा होकर मुझको,
ज्यादा कुछ तो नहीं हुआ,
तू चाहे हमको मिला नहीं,
लेकिन तुझसे कोई गिला नहीं,
ता-ज़िंदगी चाहेंगे तुमको,
फिर भी ना पुकारेंगे तुमको,
ये इश्क का दरिया ऐसा है,
जो डूबा पार उतरता है
यूँ तुमसे जुदा होकर मुझको,
ज्यादा कुछ तो नहीं हुआ,
— भरत मल्होत्रा
सुंदर