कविता

कविता : ज्यादा कुछ तो नहीं हुआ

यूँ तुझसे जुदा होकर मुझको,
ज्यादा कुछ तो नहीं हुआ,
बस थोड़ा सा दिल टूटा है,
और लगता है रब रूठा है,

अब नींद ना आए रातों को,
दिल याद करे उन बातों को,
जो हम-तुम करते रहते थे,
और यूँ ही हँसते रहते थे,
बिन तेरे ओ मेरे दिलबर,
अब काटे वक्त ना कटता है,
यूँ तुमसे जुदा होकर मुझको,
ज्यादा कुछ तो नहीं हुआ,

आँखों ने बरसना सीख लिया,
और हमने तड़पना सीख लिया,
अब शामें हैं तनहाई की,
और दौलत है रुसवाई की,
करके याद वो मंजर अब,
दिल खून के आँसू रोता है,
यूँ तुमसे जुदा होकर मुझको,
ज्यादा कुछ तो नहीं हुआ,

तू चाहे हमको मिला नहीं,
लेकिन तुझसे कोई गिला नहीं,
ता-ज़िंदगी चाहेंगे तुमको,
फिर भी ना पुकारेंगे तुमको,
ये इश्क का दरिया ऐसा है,
जो डूबा पार उतरता है
यूँ तुमसे जुदा होकर मुझको,
ज्यादा कुछ तो नहीं हुआ,

— भरत मल्होत्रा

*भरत मल्होत्रा

जन्म 17 अगस्त 1970 शिक्षा स्नातक, पेशे से व्यावसायी, मूल रूप से अमृतसर, पंजाब निवासी और वर्तमान में माया नगरी मुम्बई में निवास, कृति- ‘पहले ही चर्चे हैं जमाने में’ (पहला स्वतंत्र संग्रह), विविध- देश व विदेश (कनाडा) के प्रतिष्ठित समाचार पत्र, पत्रिकाओं व कुछ साझा संग्रहों में रचनायें प्रकाशित, मुख्यतः गजल लेखन में रुचि के साथ सोशल मीडिया पर भी सक्रिय, सम्पर्क- डी-702, वृन्दावन बिल्डिंग, पवार पब्लिक स्कूल के पास, पिंसुर जिमखाना, कांदिवली (वेस्ट) मुम्बई-400067 मो. 9820145107 ईमेल- [email protected]

One thought on “कविता : ज्यादा कुछ तो नहीं हुआ

  • विभा रानी श्रीवास्तव

    सुंदर

Comments are closed.