मुक्तक/दोहा

बिन बेटी होता नही..

‘दोहे’

बिन बेटी होता नही, आंगन में उल्लास।
बेटी मंगल गीत है, बेटी कल की आस॥

बेटी प्रीत स्वरूप है, बेटी आनंद रूप।
प्रीत प्रीत बस प्रीत है, बेटी का प्रारूप॥

ईश्वर का वरदान है, आंगन बेटी पांव।
जीवन की हर धूप में, बेटी शीतल छांव।

सुख का अमृत घोलती, बेटी की मुस्कान।
घर आंगन में बेटियां, खुशियों का वरदान॥

हर मर्यादा साधती, रखती सबका मान।
दो कुल को रोशन करे, बेटी दीप समान॥

बेटी तुलसी रूप है, जगजननी अवतार।
बेटी तो करती सदा, दो कुल का उद्धार॥

हर पल खुशियां बांटती, मन में सेवा भाव।
बेटी धारा प्रीत की, सुख की शीतल छांव॥

बंसल बेटी को समझ, देवी के समरूप।
ईश्वर का वरदान है, बेटी का यह रूप॥

सतीश बंसल

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.