गीतिका/ग़ज़ल

ढली है शाम मग़र रात अभी बाकी है..

ढली है शाम मग़र रात अभी बाकी है।
ज़िंदगी तुझ से मुलाकात अभी बाकी है॥

हुई हैं बात अभी तो भली भली केवल।
ख़ार से चुभते सवालात अभी बाकी है॥

रोशनी में कहां नज़र आयेगा सब कुछ।
घने अंधेरों की सौगात अभी बाकी है॥

जो बदल जायेगे किरदार रात होते ही।
देखनी उनकी औकात अभी बाकी है॥

जो होकर भी नही हुई तेरे मेरे दरमियां।
अनसुनी अनकही बात अभी बाकी है॥

आ ही जायेगा असली किरदार सामने।
ज़ालिम के कहर की रात अभी बाकी है॥

जो उज़ालों में नज़र आते है फरिश्तो से।
सत्य पर उनके आघात अभी बाकी है॥

सतीश बंसल

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.