गुरु कृपा जाको मिले, ताको सब मिल जाय।
गुरु कृपा जाको मिले, ताको सब मिल जाय।
गुरु चरनन की धूलि को, राखो तिलक लगाय॥
जीवन दर्शन दे दिया, जीवन किया विधान।
महिमा अपरम पार है, कैसे करुं बखान।
अ टा हृदय जगी, सुन गुरुवर उपदेश।
मन उजियारा हो गया, कालिख रही न शेष॥
तन को साधन कीजिये, मन करिये विश्वास।
जीत वही वरते सदा, जो मन रखते आस॥
कण कण उसका वास है, धरा गगन पाताल।
मन में यदि हो भावना, धूलि करही निहाल॥
जो मन में रखता सदा, प्रेम समर्पण भाव।
ईश्वर उन पर वारते, उपकारों की छांव॥
यश अपयश जीवन मरण, सब उसके आधीन।
धर्म कर्म सदभावना, तारक साधन तीन।
संयम धारण कीजिये, जब हो विपदा काल।
भौर नवल नवनीत फिर, होगी लाली लाल॥
बंसल ने तो पा लिया, गुरुवर का आशीष।
चरणधूल माथे लगा, झुका दिया निज शीष।
सतीश बंसल