मुक्तक/दोहा

गुरु कृपा जाको मिले, ताको सब मिल जाय।

गुरु कृपा जाको मिले, ताको सब मिल जाय।
गुरु चरनन की धूलि को, राखो तिलक लगाय॥

जीवन दर्शन दे दिया, जीवन किया विधान।
महिमा अपरम पार है, कैसे करुं बखान।

अ टा हृदय जगी, सुन गुरुवर उपदेश।
मन उजियारा हो गया, कालिख रही न शेष॥

तन को साधन कीजिये, मन करिये विश्वास।
जीत वही वरते सदा, जो मन रखते आस॥

कण कण उसका वास है, धरा गगन पाताल।
मन में यदि हो भावना, धूलि करही निहाल॥

जो मन में रखता सदा, प्रेम समर्पण भाव।
ईश्वर उन पर वारते, उपकारों की छांव॥

यश अपयश जीवन मरण, सब उसके आधीन।
धर्म कर्म सदभावना, तारक साधन तीन।

संयम धारण कीजिये, जब हो विपदा काल।
भौर नवल नवनीत फिर, होगी लाली लाल॥

बंसल ने तो पा लिया, गुरुवर का आशीष।
चरणधूल माथे लगा, झुका दिया निज शीष।

सतीश बंसल

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.