जीवन पल पल यूं ही बीत रहा, आडंबर छोडिये।
जीवन पल पल यूं ही बीत रहा, आडंबर छोडिये।
यदि जाना है भवपार, प्रभो से नाता जोडिये॥
मन मोह माया में लीन हुआ, तन भोगवाद आधीन हुआ।
अपना कर्तव्य भुला बैठा, जीवन का सार मलीन हुआ॥
भटकेगा जीवन पग पग, सच से मुख न मोडिये….
यदि जाना है भवपार, प्रभो से नाता जोडिये……
यह तेरा है यह मेरा है, हर मन में स्वार्थ का डेरा है।
ईर्ष्या विद्वेष कपट छल ने, हम सबके मन को घेरा॥
यह मोह माया महाठगिनी दामन को छोडिये….
यदि जाना है भव पार, प्रभो से नाता जोडिये…..
दौलत की चाह जगी इतनी, जीवन का मूल्य बिसार दिया।
ना मात पिता सेवा की, ना गुरुजनों का सत्कार किया॥
केवल पैसे की ख़ातिर ना, रिश्तों को तोडिये….
यदि जाना है भव पार, प्रभो से नाता जोडिये…..
ये दौलत शोहरत दंभ तेरा, सब यहीं धरा रह जायेगा।
टूटेगी जब जीवन डोरी, तब रोयेगा पछतायेगा॥
अभी समय के रहते, राम नाम सुख चादर ओढ़िये…….
यदि जाना है भव पार, प्रभो से नाता जोडिये….
सतीश बंसल