नियोन लाइट के खंभे
कुछ नियोन लाइट के खंभे
उसकी रोशनी में दब जाते हैं
वे दिखाई नहीं देते और
हम दृश्य यों बदला पाते हैं
रोश्नी के कुछ गुच्छे जैसे
हवा में ही लटक जाते हैं
कुछ बड़े लोगों के पीछे
कुछ छोटे लोग नजर नहीं आते हैं
उनका क़द दब जाता है
और यूँ बड़े आदमी को अकेला पाते हैं
और यूँ ये बड़े आदमी
आदमक़द से भी बड़े हो जाते हैं
कुछ ऐसा ही होता है
आम आदमी की न्यायप्रियता को अचंभा
बड़ी-बड़ी जगहों पर बड़े-बड़े निर्णय
जब चाय के साथ लिए जाते हैं चबा
उसकी भावना यूँ दब जाती है
जैसे नियोन लाइट की बत्ती खंभा
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