कविता

नियोन लाइट के खंभे

 

कुछ नियोन लाइट के खंभे

उसकी रोशनी में दब जाते हैं

वे दिखाई नहीं देते और

हम दृश्य यों बदला पाते हैं

रोश्नी के कुछ गुच्छे जैसे

हवा में ही लटक जाते हैं

 

कुछ बड़े लोगों के पीछे

कुछ छोटे लोग नजर नहीं आते हैं

उनका क़द दब जाता है

और यूँ बड़े आदमी को अकेला पाते हैं

और यूँ ये बड़े आदमी

आदमक़द से भी बड़े हो जाते हैं

 

कुछ ऐसा ही होता है

आम आदमी की न्यायप्रियता को अचंभा

बड़ी-बड़ी जगहों पर बड़े-बड़े निर्णय

जब चाय के साथ लिए जाते हैं चबा

उसकी भावना यूँ दब जाती है

जैसे नियोन लाइट की बत्ती  खंभा 

 

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*नीतू सिंह

नाम नीतू सिंह ‘रेणुका’ जन्मतिथि 30 जून 1984 साहित्यिक उपलब्धि विश्व हिन्दी सचिवालय, मारिशस द्वारा आयोजित अंतरराष्ट्रीय हिन्दी कविता प्रतियोगिता 2011 में प्रथम पुरस्कार। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में लेख, कहानी, कविता इत्यादि का प्रकाशन। प्रकाशित रचनाएं ‘मेरा गगन’ नामक काव्य संग्रह (प्रकाशन वर्ष -2013) ‘समुद्र की रेत’ नामक कहानी संग्रह(प्रकाशन वर्ष - 2016), 'मन का मनका फेर' नामक कहानी संग्रह (प्रकाशन वर्ष -2017) तथा 'क्योंकि मैं औरत हूँ?' नामक काव्य संग्रह (प्रकाशन वर्ष - 2018) तथा 'सात दिन की माँ तथा अन्य कहानियाँ' नामक कहानी संग्रह (प्रकाशन वर्ष - 2018) प्रकाशित। रूचि लिखना और पढ़ना ई-मेल [email protected]