गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल – हवाओं में हैं शोखियां

हवाओं में हैं शोखियां , बरस रही शबनम भी है

अधरों पर मुस्कुराहटें तो आँखें थोड़ी नम भी है

 

इलज़ाम ना देंगे तुझे कभी हम बेवफाई का

बेइन्तहां मोहब्बत के गुनेहगार हम भी हैं

 

लाखों हैं हसीं बाज़ार में और इस बाज़ार में

जो जख्म तूने हैं दिए उन जख्मों के मरहम भी हैं

 

बहुत गुरुर हैं ना ऐ आसमां तुझे अपनी ऊंचाई पर

ज़मीन पे ला के रख दूंगा बाजुओं में दम भी है।

 

आओ मैखाने में मेरे गर ठेस पहुची हो कभी

सारे ग़म भूल जाओगे यहाँ व्हिस्की है और रम भी है।

 

विजय गौत्तम

नाम- विजय कुमार गौत्तम पिता का नाम - मोहन लाल गौत्तम पता - 268 केशव नगर कॉलोनी , बजरिया , सवाई माधोपुर , राजस्थान pin code - 322001 फोन - 9785523446 ईमेल - vijaygauttam23@gmail.com व्यवसाय - मैंने अपनी Engineering की पढाई Arya college , Kukas , jaipur से Civil engineering में पूरी की है एवं पिछले 2 सालों से Jaipur Engineering College , Kukas , jaipur में व्याख्याता के पर कार्यरत हूँ । ग़ज़लें लिखना बहुत अच्छा लगता है ।