मुरलिया करत हिया में झंकार…
मुरलिया करत हिया में झंकार।
अधर धरै जब कृष्ण कन्हैया
बाजत दिल के तार।
मुरलिया करत हिया में झंकार…
खग दृग सुध बुध भूलै सारी
तान धरै जब जब गिरधारी।
गोप गोपियां सम्मोहित हो
कहते बलिहारी बलिहारी॥
कोयल कूकै मोर नाचकर,
करते हैं मनुहार….
मुरलिया करत हिया में झंकार…
सुन मुरली की तान हुआ है
मंदम इंन्द्लोक वादन।
देव देवता और अप्सरा
करने लगे गिरधर का वंदन॥
नंदन वन में बरस रही है,
मधुर मधुर रसधार…..
मुरलिया करत हिया में झंकार…
राधे राधे के स्वर बोलै
कानों में अमृत रस घोलै।
ललित लताऐं झूम झूम कर
कलियों से खिलने को बोलै॥
फूल फूल आतुर बनने को,
श्याम गले का हार….
मुरलिया करत हिया मैं झंकार…
परमानंद भयो ब्रज भूमि
रास रचाई हैं जब मनमोहन।
धन्य हुई जमुना की रेती
धन्य हुआ सारा नंदन वन॥
कान्हा की मुस्काती सूरत,
राधा जी को प्यार….
मुरलिया करत हिया मैं झंकार…
सतीश बंसल
सुंदर गीत !
शुक्रिया आद… विजय जी
सुंदर गीत !
शुक्रिया आद.. विजय जी..