मधुमास
सावन भादो मुझको अब कुछ तेरे बिना नहीं भाए पिया ।
छनछन कर बजती है तुमको पास बुलाए पायलिया ।
तुमसे जो मैं दूर हुई दिल मैं चुभी है ऐसी फांस ।
लौट के तुम जो आ जाओ पतझड बन जाएगा मधुमास ।
तुम बिन हूँ मैं कितनी अकेली जीवन तुम बिन ये सूना ।
साथ तुम्हारा जो मिल जाए हर सुख हो जाए दूना ।
अनुपमा दीक्षित मयंक