राधे श्याम और व्रन्दावन
व्रन्दावन में देखो कान्हा राधा तुमको ढूंढ रही
क्रष्ण नाम की माला जपते गलियां गलियां घूम रही ।
तुमसे करती अरज यही बस एक बार फिर आ जाओ ।
राह तुम्हारी तकते तकते जख्म लिये नित झूम रही ।1
तेरे खातिर मात पिता से हर बन्धन को तोड़ दिया ।
तेरी होकर रही हूँ बस मैं तुमको खुद से जोड लिया ।
जीवन का आधार बने सांसो को तुम पर वारा है ।
तुमको सबकुछ माना मैंने दुनिया से मुख मोड लिया । 2
आ जाओ इक बार लौटकर और करो मुझको स्वीकार ।
तेरे बिना नही भाता कुछ खुद पर रहा नहीं अधिकार ।
प्रीति की रीति निभाने आजा विरह में तडपू मै दिन रात ।
तुम ही आशा तुम ही निराशा तुम बिन ये जीवन बेकार ।3
अनुपमा दीक्षित मयंक