कवितागीतिका/ग़ज़ल

मौक्तिका (बचपन जो खो गया)

मौक्तिका (बचपन जो खो गया)
2*9 (मात्रिक बहर)
(पदांत ‘गया’, समांत ‘ओ’ स्वर)

जिम्मेदारी में बढ़ी उम्र की,
बचपन वो सुहाना गुम हो गया।
चुगते चुगते अनुभव के दाने,
अल्हड़पन मेरा कहीं खो गया।।

तब कुछ चिंता थी न कमाने की,
और फिक्र ही थी न गमाने की।
अब कम साधन औ’ अधिक खर्च का,
हौवा ये मन का चैन धो गया।।

अब तो कुछ भी करने से पहले,
भला बुरा विचार के दिल दहले।
आशंकाओं की लेता झपकी,
बचपन का साहस प्रखर सो गया।।

तब आशाओं का पीछा करते,
सपने पूरे करने को मरते।
पहले से ही असफलता का भय,
सुस्ती के अब तो बीज बो गया।।

तब कुछ सपने होते थे पूरे,
रह जाते हैं सब आज अधूरे।
यादों में घुटने को नहीं ‘नमन’,
वो लौट न सकता समय जो गया।।

बासुदेव अग्रवाल ‘नमन’
तिनसुकिया
02-07-2016

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'

नाम- बासुदेव अग्रवाल; जन्म दिन - 28 अगस्त, 1952; निवास स्थान - तिनसुकिया (असम) रुचि - काव्य की हर विधा में सृजन करना। हिन्दी साहित्य की हर प्रचलित छंद, गीत, नवगीत, हाइकु, सेदोका, वर्ण पिरामिड, गज़ल, मुक्तक, सवैया, घनाक्षरी इत्यादि। सम्मान- मेरी रचनाएँ देश के सम्मानित समाचारपत्र और अधिकांश प्रतिष्ठित वेब साइट में नियमित रूप से प्रकाशित होती रहती हैं। हिन्दी साहित्य से जुड़े विभिन्न ग्रूप और संस्थानों से कई अलंकरण और प्रसस्ति पत्र नियमित प्राप्त होते रहते हैं। प्रकाशित पुस्तकें- गूगल प्ले स्टोर पर मेरी दो निशुल्क ई बुक प्रकाशित हैं। (1) "मात्रिक छंद प्रभा" जिसकी गूगल बुक आइ डी :- 37RT28H2PD2 है। (यह 132 पृष्ठ की पुस्तक है जिसमें मात्रिक छंदों की मेरी 91 कविताएँ विधान सहित संग्रहित हैं। पुस्तक के अंत में 'मात्रिक छंद कोष' दिया गया है जिसमें 160 के करीब मात्रिक छंद विधान सहित सूचीबद्ध हैं।) (2) "वर्णिक छंद प्रभा" जिसकी गूगल बुक आइ डी :- 509X0BCCWRD है। (यह 134 पृष्ठ की पुस्तक है जिसमें वर्णिक छंदों की मेरी 95 कविताएँ विधान सहित संग्रहित हैं। पुस्तक के अंत में 'वर्णिक छंद कोष' दिया गया है जिसमें 430 के करीब वर्णिक छंद विधान सहित सूचीबद्ध हैं।)

One thought on “मौक्तिका (बचपन जो खो गया)

  • विभा रानी श्रीवास्तव

    लेखन में सच्चाई

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