मुक्तक/दोहा मुक्तक मानस मिश्रा 20/07/201622/07/2016 उसके दिल की हस्ती क्या है जिसके दिल में प्यार नहीं । सागर क्या सागर होता है जिसमें है मझधार नहीं । बच्चन जी का सार यही था लहरों से मत डरना तुम । मन के जीते जीत है निश्चित मन के जीते हार नहीं ।। — मानस मिश्रा