भूल न जाना बहिना को
राखी की पावन बेला है,
भूल न जाना बहिना को.
आ पाओ या ना आ पाओ,
भूल न जाना बहिना को.
राखी तो पहुंची ही होगी,
भूल न जाना बहिना को.
ना भी पहुंची हो तो भाई,
भूल न जाना बहिना को.
हरदम मेरी यादों में हो,
भूल न जाना बहिना को.
जहां रहो खुशहाल रहो तुम,
भूल न जाना बहिना को.
चंदा में भी तुम दिखते हो,
सूरज में भी तुम बसते हो,
भूल न जाना बहिना को.
तारों में भी तेरी छाया,
भूल न जाना बहिना को.
कहां नहीं है तेरी माया,
भूल न जाना बहिना को.
राखी की पावन बेला है,
भूल न जाना बहिना को.
आ पाओ या ना आ पाओ,
भूल न जाना बहिना को.
राखी तो पहुंची ही होगी,====भाई बहना को क्यों भूले नमन करें स्वीकार ——————
राखी की पावन बेला है,
भूल न जाना बहिना को.
आ पाओ या ना आ पाओ,
भूल न जाना बहिना को.
राखी तो पहुंची ही होगी,====भाई बहना को क्यों भूले नमन करें स्वीकार ——————
बहुत अच्छी कविता, बहिन जी !
प्रिय विजय भाई जी, एक सटीक व सार्थक प्रतिक्रिया के लिए आभार.
भाई के प्रति अपने स्नेह और प्यार की अभिव्यक्ति को जुबान देती एक बहुत ही शानदार सार्थक रचना के लिए आपको धन्यवाद ।
प्रिय राजकुमार भाई जी, स्नेह के प्रतीक पर्व पर एक स्नेहिल, अप्रतिम, सटीक व सार्थक प्रतिक्रिया के लिए आभार.
बहुत सुन्दर सृजन
वाह्ह्ह्ह नमन आदरणीया लीला जी
प्रिय अतुल भाई जी, आपकी सुंदर-सकारात्मक नज़रिए को सलाम. एक सटीक व सार्थक प्रतिक्रिया के लिए आभार.
चंदा में भी तुम दिखते हो,
सूरज में भी तुम बसते हो,
भूल न जाना बहिना को. बहन भाई के प्रेम की कविता में भाई के प्रती बहन का पियार झलकता साफ़ नज़र आ रहा है ,बहुत अछि कविता .
प्रिय गुरमैल भाई जी, एक सटीक व सार्थक प्रतिक्रिया के लिए आभार.