कविता

जब भाई के देश जाओगे

चंदामामा,
तुम भी किसी विवाहित बहिन के भाई हो,
तभी तो भांजे-भांजियों के मामा कहलाए हो,
आज कितने प्यारे लग रहे हो,
क्या राखी बंधवाकर आए हो?
तुम तो कभी भी नहीं बताते,
किसके हो तुम प्यारे भाई?
क्या तुमने बहिन को घर में बुलाया था?
या बहिन ने राखी कूरियर से भिजवाई?
माथे पे अक्षत और रोली सजाई,
क्या ये आपकी बहिना ने भिजवाई?
भेजी होगी बहिना ने खूब मिठाई,
तुमने होगी जी भरकर खाई!
दिखते तो तुम हमसे बहुत दूर हो,
पर फिर भी हमारे दिल के पास हो,
मेरा भाई भी रहता मुझसे बहुत दूर है,
लगता है जैसे अभी भी मेरे पास हो.
मैंने कूरियर को थी टेर लगाई,
उसके हाथ भाई को सुंदर-सी राखी भिजवाई,
साथ में अक्षत-रोली की डिबिया भी भेजी,
भेजे साथ में डलिया में फल और मिठाई.
रेशम की कच्चे धागे से बनी राखी,
नेह के रिश्ते को पक्का करती है,
यही तो मज़बूत संबल है,
जो रिश्तों में नई ताज़गी की सुगंध भरती है
धागा स्नेह को सुदृढ़ करता है,
अक्षत रिश्ते को अक्षुण्ण रखता है,
कुमकुम रिश्तों में रंग भरता है,
फल रिश्तों को रस से सिंचित करते हैं,
मिठाई रिश्तों को मधुरिम करती है,
डलिया रिश्ते में बंधे सभी सदस्यों को संगठित करती है,
इस प्रकार राखी प्रेम-प्यार में अभिवृद्धि करती है,
रक्षा बंधन की पावन बेला आनंद का संचार करती है.
हमने तुम्हें सब कुछ बता दिया,
तुम भी कुछ तो बताना,
जब भाई के देश की तरफ जाओगे,
यह संदेशा उसको अवश्य देकर आना.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

7 thoughts on “जब भाई के देश जाओगे

  • विजय कुमार सिंघल

    वाह बहिन जी ! बहुत सुन्दर कविता !!

  • नीतू शर्मा

    अद्भुत कल्पना शक्ति, बहुत खूब आदरणीया

    • लीला तिवानी

      प्रिय सखी नीतू जी, एक सटीक, प्रोत्साहक व सार्थक प्रतिक्रिया के लिए आभार.

  • राजकुमार कांदु

    श्रद्धेय बहनजी ! कहते हैं जहां न पहुंचे रवि ‘वहाँ पहुंचे कवि । आपकी कल्पनाशक्ति को सलाम । बचपन से ही चन्दा के साथ मामा अपने दादा की जुबान से भी सुनते आये हैं और अब अपने पोतों को भी यही सिखाते हैं । ऐसे में चंदामामा को उनकी बहन का वास्ता देकर अपने भाई के देश की तरफ जाने पर भाई को स्नेह सन्देश देते हुए एक बहन के मनोभावों को आपने बखूबी रेखांकित किया है । एक अप्रतिम रचना के लिए बधाई !

    • लीला तिवानी

      प्रिय राजकुमार भाई जी, एक अप्रतिम, सटीक व सार्थक प्रतिक्रिया के लिए आभार.

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    चंदामामा,

    तुम भी किसी विवाहित बहिन के भाई हो,

    तभी तो भांजे-भांजियों के मामा कहलाए हो,

    आज कितने प्यारे लग रहे हो,

    क्या राखी बंधवाकर आए हो? कविता, लगता है जैसे माला में मोती जड़े हों .

    • लीला तिवानी

      प्रिय गुरमैल भाई जी, आपकी मौक्तिक नज़र को सलाम. एक सटीक व सार्थक प्रतिक्रिया के लिए आभार.

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