कविता

भूल न जाना बहिना को

राखी की पावन बेला है,
भूल न जाना बहिना को.
आ पाओ या ना आ पाओ,
भूल न जाना बहिना को.
राखी तो पहुंची ही होगी,
भूल न जाना बहिना को.
ना भी पहुंची हो तो भाई,
भूल न जाना बहिना को.
हरदम मेरी यादों में हो,
भूल न जाना बहिना को.
जहां रहो खुशहाल रहो तुम,
भूल न जाना बहिना को.
चंदा में भी तुम दिखते हो,
सूरज में भी तुम बसते हो,
भूल न जाना बहिना को.
तारों में भी तेरी छाया,
भूल न जाना बहिना को.
कहां नहीं है तेरी माया,
भूल न जाना बहिना को.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

10 thoughts on “भूल न जाना बहिना को

  • राज किशोर मिश्र 'राज'

    राखी की पावन बेला है,
    भूल न जाना बहिना को.
    आ पाओ या ना आ पाओ,
    भूल न जाना बहिना को.
    राखी तो पहुंची ही होगी,====भाई बहना को क्यों भूले नमन करें स्वीकार ——————

  • राज किशोर मिश्र 'राज'

    राखी की पावन बेला है,
    भूल न जाना बहिना को.
    आ पाओ या ना आ पाओ,
    भूल न जाना बहिना को.
    राखी तो पहुंची ही होगी,====भाई बहना को क्यों भूले नमन करें स्वीकार ——————

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत अच्छी कविता, बहिन जी !

    • लीला तिवानी

      प्रिय विजय भाई जी, एक सटीक व सार्थक प्रतिक्रिया के लिए आभार.

  • राजकुमार कांदु

    भाई के प्रति अपने स्नेह और प्यार की अभिव्यक्ति को जुबान देती एक बहुत ही शानदार सार्थक रचना के लिए आपको धन्यवाद ।

    • लीला तिवानी

      प्रिय राजकुमार भाई जी, स्नेह के प्रतीक पर्व पर एक स्नेहिल, अप्रतिम, सटीक व सार्थक प्रतिक्रिया के लिए आभार.

  • अतुल बालाघाटी

    बहुत सुन्दर सृजन
    वाह्ह्ह्ह नमन आदरणीया लीला जी

    • लीला तिवानी

      प्रिय अतुल भाई जी, आपकी सुंदर-सकारात्मक नज़रिए को सलाम. एक सटीक व सार्थक प्रतिक्रिया के लिए आभार.

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    चंदा में भी तुम दिखते हो,
    सूरज में भी तुम बसते हो,
    भूल न जाना बहिना को. बहन भाई के प्रेम की कविता में भाई के प्रती बहन का पियार झलकता साफ़ नज़र आ रहा है ,बहुत अछि कविता .

    • लीला तिवानी

      प्रिय गुरमैल भाई जी, एक सटीक व सार्थक प्रतिक्रिया के लिए आभार.

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