दर्द पर गैरों के तुम मरहम लगाकर देखना
दर्द पर गैरों के तुम मरहम लगाकर देखना।
हो सके तो कर्म की दौलत ये पाकर देखना॥
जब दवा नाकाम हो जाये कभी तो यार तुम।
तब दुआ की उस दवा को आजमा कर देखना॥
पीर जब बढने लगे जब हौसला कमजोर हो।
तब खुदा के सामने तू सर झुकाकर देखना॥
इस जहाँ से माँग कर हासिल हुआ कुछ भी नही।
झोलियाँ भर जायेगीं नेकी कमाकर देखना॥
हर खुशी मिल जायेगी होगीं तमन्नायें जवां।
बस किसी मायूस को ढाँढस बँधाकर देखना॥
कुछ नजर आये नही जब हर तरफ हो धुंध भी।
रोशनी पाने को दिल दीपक जलाकर देखना॥
हर किसी के साथ है वो हर कदम पर साथ है।
साथ जब कोई न दे उसको बुलाकर देखना॥
— सतीश बंसल