गीत/नवगीत

खिलते फूलों के गुलशन में खार….

खिलते फूलों के गुलशन में ख़ार उगाते देखे लोग।
उजले से उजले दामन पर दाग लगाते देखे लोग॥

कैसे कैसे मंज़र देखे क्या बतलाये हम तुमको।
गिरते मानव मूल्य भला कैसे समझाये हम तुमको॥
अपनो के गम मातम पर भी जश्न मनाते देखे लोग……
उजले से उजले दामन पर दाग लगाते देखे लोग……

सचाई की राहों में पग पग पर खार मिले हमको।
सत पथ चलने वाले कितने लाचार मिले हमको॥
हमने झूठ के बल पर सच का कत्ल कराते देखे लोग….
उजले से उजले दामन पर दाग लगाते देखे लोग…..

हमने गैरों को गैरों की खातिर मरते देखा है।
औरों की खातिर अपना सब अर्पण करते देखा है॥
हमने माँ के दामन के भी दाम लगाते देखे लोग….
उजले से उजले दामन पर दाग लगाते देखे लोग…..

धर्म बना व्यापार भावना बेच रहे बन व्यापारी।
ठेकेदार बने मज़हब के ढोंगी और अत्याचारी॥
मज़हब के उन्माद में मानवता बिसराते देखे लोग…..
उजले से उजले दामन पर दाग लगाते देखे लोग….

भूख गरीबी बीमारी से जर्जर मानव तन देखें।
मजबूरी मे लाचारी में बिकते हुए बदन देखे॥
नाजुक कलियाँ मसल मसल कर दिल बहलाते देखे लोग…
उजले से उजले दामन पर दाग लगाते देखे लोग…..

हैरत में हूँ परेशान हूँ मानवता को गिरता देख।
सच्चाई को घुट कर मरते और झूठ को तिरता देख॥
धर्म और ईमान बेचकर मौज उडाते देखे लोग..
उजले से उजले दामन पर दाग लगाते देखे लोग……

सतीश बंसल

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.