कविता : थमता नहीं है
थमता नहीं है जिन्दगी में, ख्वाहिशों का सिलसिला !
अब तलक है जो मिला… सब कुछ अधूरा ही मिला !!
कुछ अधूरे ख्वाब हैं, हैं कुछ अधूरी ख्वाहिशें !
कुछ अबोले जज्बात हैं… जिनको किनारा न मिला !!
चाहत भरी इस दुनिया में… चाहत को हम हैं खोजते
दोस्त झूठे हैं मिले… दर्पण भी झूठा है मिला !!
किस पर करें विश्वास हम, हैं खुद के ही सताये हुए !
धूप के ढलते ही हमको… साया भी अपना न मिला !!
अंजु गुप्ता
बेहतरीन !
बेहतरीन !