गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल ( क्या जज्बात की कीमत चंद महीने के लिए है )

दर्द को अपने से कभी रुखसत ना कीजिये
क्योंकि दर्द का सहारा तो जीने के लिए है

पी करके मर्जे इश्क़ में बहका ना कीजिये
ख़ामोशी की मदिरा तो सिर्फ पीने के लिए है

फूल से अलगाब की खुशबु ना लीजिये
क्या प्यार की चर्चा केबल मदीने के लिए है

टूटे हैं दिल , टूटा भरम और ख्बाब भी टूटे हुये
क्या ये सारी चीज़े उम्र भर सीने के लिए हैं

वक़्त के दरिया में क्यों प्यार के सपनें वहे
क्या जज्बात की कीमत चंद महीने के लिए है

— मदन मोहन सक्सेना

*मदन मोहन सक्सेना

जीबन परिचय : नाम: मदन मोहन सक्सेना पिता का नाम: श्री अम्बिका प्रसाद सक्सेना जन्म स्थान: शाहजहांपुर .उत्तर प्रदेश। शिक्षा: बिज्ञान स्नातक . उपाधि सिविल अभियांत्रिकी . बर्तमान पद: सरकारी अधिकारी केंद्र सरकार। देश की प्रमुख और बिभाग की बिभिन्न पत्रिकाओं में मेरी ग़ज़ल,गीत लेख प्रकाशित होते रहें हैं।बर्तमान में मैं केंद्र सरकार में एक सरकारी अधिकारी हूँ प्रकाशित पुस्तक: १. शब्द सम्बाद २. कबिता अनबरत १ ३. काब्य गाथा प्रकाशधीन पुस्तक: मेरी प्रचलित गज़लें मेरी ब्लॉग की सूचि निम्न्बत है: http://madan-saxena.blogspot.in/ http://mmsaxena.blogspot.in/ http://madanmohansaxena.blogspot.in/ http://www.hindisahitya.org/category/poet-madan-mohan-saxena/ http://madansbarc.jagranjunction.com/wp-admin/?c=1 http://www.catchmypost.com/Manage-my-own-blog.html मेरा इ मेल पता: [email protected] ,[email protected]