गीतिका/ग़ज़ल

वो एक इशारा कर दें

जीने का इतना शौक नहीं हमें जो उसके इश्क़ से किनारा कर दे,
अभी इस दरिया में कूद जाऊं, अगर वो एक इशारा कर दें।

इक बार तुम्हें खोकर देखा है मैंने ख़ुद को ज़िंदा लाश माफ़िक,
इतना पागल नहीं हूँ जो एक ही गलती को दुबारा कर दें।

हम दोनों में जमीन और जागीर का झगड़ा तो है नहीं मेरे यार,
बस इश्क़ प्यार और मुहब्बत है जिसका बंटवारा कर दें।

नफ़रत के समन्दर में नहीं डूबेगा हमारा ये प्यार कभी,
मुहब्बत वो बला है जो तिनके को भी सहारा कर दें।

मुहब्बत के नाम पर तुम्हारा सूली पर चढ़ना गवारा नहीं हमें,
कत्ल ही करना है तो तुम्हारा क्यों, हमारा कर दें।

इश्क़ की आतिश आतिशी बहुत है सुन लो दुनियावालो,
मुहब्बत में इतनी तपिश है वो आब को भी अंगारा कर दें।

बहुत अँधेरा है इस वीरान उजड़ी बस्ती सी ज़िंदगी में,
बस तुमसे गुजारिश है ज़रा सा उजियारा कर दें।

विनोद दवे

नाम = विनोदकुमारदवे परिचय = एक कविता संग्रह 'अच्छे दिनों के इंतज़ार में' सृजनलोक प्रकाशन से प्रकाशित। अध्यापन के क्षेत्र में कार्यरत। विनोद कुमार दवे 206 बड़ी ब्रह्मपुरी मुकाम पोस्ट=भाटून्द तहसील =बाली जिला= पाली राजस्थान 306707 मोबाइल=9166280718 ईमेल = [email protected]