गीत/नवगीत

गीत रचना : ये जनता के हत्यारे

पढ़ती बाला आस जगाती, भावी कल इनका होगा
सैनिक अपने पहरा देते, मान इन्हें देना होगा |

कही क्रोध है कही क्षोभ है, दहशत में जनता सारी
नापाक इरादे देख पाक के, पहरा दे फौजी भारी |
अपनी कौरी ऐंठ रखे जो, देख रही दुनिया सारी,
भूल गया वो मात पुरानी, चालाकी रखता जारी |

युद्ध भूमि में सन्देश कृष्ण का, अर्जुन अब लड़ना होगा
सैनिक अपने पहरा देते, ——|

बढ़ें आत्मबल सदा उन्ही का, संकल्प रहे जिनके मन में,
जीवन का संग्राम जीतते, हिम्मत जिनकी रहें ह्रदय में |
सजग सदा रह पहरा देते, जनता में विश्वास जगाते,
मात नही दे सकता उनकों, कभी न माँ का दूध लजाते |

अभिमन्यु सा पूत जनें माँ, फौजी दक्ष तभी होगा
सैनिक अपने पहरा देते, ——-

लूट पाट कर हिंसा करते, बेजा वजह सताते हैं,
बम बारूद से धरती सहमी, बाज नहीं वे आते हैं |
शह देते है जो भी इनको, वे जनता के हत्यारें,
घात लगाएं बैठे कातिल, ये आतंकी है सारे |

झांसी रानी जैसी महिला, रणचंडी बनना होगा
सैनिक अपने पहरा देते, —-

लक्ष्मण रामानुज लड़ीवाला

जयपुर में 19 -11-1945 जन्म, एम् कॉम, DCWA, कंपनी सचिव (inter) तक शिक्षा अग्रगामी (मासिक),का सह-सम्पादक (1975 से 1978), निराला समाज (त्रैमासिक) 1978 से 1990 तक बाबूजी का भारत मित्र, नव्या, अखंड भारत(त्रैमासिक), साहित्य रागिनी, राजस्थान पत्रिका (दैनिक) आदि पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित, ओपन बुक्स ऑन लाइन, कविता लोक, आदि वेब मंचों द्वारा सामानित साहत्य - दोहे, कुण्डलिया छंद, गीत, कविताए, कहानिया और लघु कथाओं का अनवरत लेखन email- [email protected] पता - कृष्णा साकेत, 165, गंगोत्री नगर, गोपालपूरा, टोंक रोड, जयपुर -302018 (राजस्थान)