कविता :पत्तों की भाँति…
पत्तों की भाँति
जब बिखरे विश्वास
नम आँखें कहें… दर्द होता है !!
अपना बना के
जब करे कोई रुसवा
चाहें लब मुस्काएँ… दिल रोता है !!
ख्वाहिशों का बोझ
जब उठाए न उठे
बोलो ! ऐसा प्यार क्यों होता है ?
अंजु गुप्ता
पत्तों की भाँति
जब बिखरे विश्वास
नम आँखें कहें… दर्द होता है !!
अपना बना के
जब करे कोई रुसवा
चाहें लब मुस्काएँ… दिल रोता है !!
ख्वाहिशों का बोझ
जब उठाए न उठे
बोलो ! ऐसा प्यार क्यों होता है ?
अंजु गुप्ता