दुःख होता है—–
दुःख होता है——
बचपन की यादें जब धूमिल होती हैं,
हुई पराई वो टोली जो साथ चली थी।
छूट गई वो सारी दर ओ दीवारें,
जब सारे सपने हम सब के अपने होते थे।।
दुःख होता है——
दोस्त मेरा तू पक्का है जब कहते थे,
चौड़ी छाती उससे ज्यादा हम करते थे।
दे देंगे हम जान तेरे कारण यारा,
जब कभी जुदा होने की बाते करते थे।।
दुःख होता है—–
लड़ना और झगड़ना फिर बातें करना,
किसकी गलती छोड़ो यार नहीं है कहना।
रूठ गया था यार मेरे तो नींद नहीं आई,
गले मिले कसमें खाई ऐसा नहीं कभी करना।।
दुःख होता है—–
वही यार जब आज नहीं बातें करता है,
समय नहीं है कहकर जब आगे चलता है।
शुभ प्रभात सुबह कहूॅं ना पलट के बोले,
वादा करता शाम मिलेंगे फिर वो भूले।।
दुःख होता है—–
पहन लंगोटी साथ कभी दौड़ा बागों में,
डुबकी लिए तलाबों में, मिट्टी में खेलें।
बिना साथ त्योहारों में आनन्द नहीं था,
आज वही रंगरूट हमें अपना ना बोले।।
दुःख होता है—–
।। प्रदीप कुमार तिवारी।।
करौंदी कला, सुलतानपुर
7537807761