कविता

संसद के दोनों सदनों में

संसद के दोनों सदनों में,
नेता चुन-चुन कर पहुंचे जो।
हो ह्रदय हीन स्वार्थी सारे,
कमियां औरों की गिनते हैं।।

पेपर फाड़े, कुर्सी तोडे,
भाषा कि हद सब पार करें,
चिल्लम चिल्ली पों – पों में,
अध्यक्ष निसहाय सा रहता है।।

बाहर जनता उम्मीद लिए,
संसद को लखती है इकटक।
पर सत्ता और विपक्ष के द्वारा,
मिलता सदा छलावा है।।

मैं कह दूँ विपक्ष है गंदा,
जो कि सच में गंदा है।
सत्ता समझेगी जय उसकी,
जो स्वच्छ नहीं खुद गंदा है।।

चलो हुआ कुछ अच्छा हिंद में,
काले धन पर वार हुआ।
काले धन वाले नेता नें,
इसका ही प्रतिकार किया।

लगा रहे हर वो जुगाड़,
धन काला जिससे स्वच्छ बने।
जनता का दुःख बाटने वाले,
हक जनता का ही मार रहे।।

बैंक कि चौखट नहीं गए,
पर नए नोट कि कमी नहीं।
हमदर्द हमारे सारे नेता,
हमको ये विधि बतलाते नहीं।।

बेटी की शादी कैसे हो,
चिंता में कुछ ने प्राण गवाया।
सत्ता और विपक्ष दोनों ने,
अरबों का जश्न मनाया।।

आम आदमी लगा हुआ है,
दाल रोटी चल जाए कैसे।
क्रिया कर्म और कार्यक्रम तो,
कोई ना ढंग से कर पाया है।।

पूँछ रहा हूँ मैं प्रदीप,
संग काम नहीं कर सकते क्यूँ।
कमजोर कड़ी की ताकत बन,
साथ नहीं चल सकते क्यूँ।।

।। प्रदीप कुमार तिवारी।।
करौंदी कला, सुलतानपुर
7537807761

प्रदीप कुमार तिवारी

नाम - प्रदीप कुमार तिवारी। पिता का नाम - श्री दिनेश कुमार तिवारी। माता का नाम - श्रीमती आशा देवी। जन्म स्थान - दलापुर, इलाहाबाद, उत्तर-प्रदेश। शिक्षा - संस्कृत से एम ए। विवाह- 10 जून 2015 में "दीपशिखा से मूल निवासी - करौंदी कला, शुकुलपुर, कादीपुर, सुलतानपुर, उत्तर-प्रदेश। इलाहाबाद मे जन्म हुआ, प्रारम्भिक जीवन नानी के साथ बीता, दसवीं से अपने घर करौंदी कला आ गया, पण्डित श्रीपति मिश्रा महाविद्यालय से स्नातक और संत तुलसीदास महाविद्यालय बरवारीपुर से स्नत्कोतर की शिक्षा प्राप्त की, बचपन से ही साहित्य के प्रति विशेष लगव रहा है। समाज के सभी पहलू पर लिखने की बराबर कोशिस की है। पर देश प्रेम मेरा प्रिय विषय है मैं बेधड़क अपने विचार व्यक्त करता हूं- *शब्द संचयन मेरा पीड़ादायक होगा, पर सुनो सत्य का ही परिचायक होगा।।* और भ्रष्टाचार पर भी अपने विचार साझा करता हूं- *मैं शब्दों से अंगार उड़ाने निकला हूं, जन जन में एहसास जगाने निकला हूं। लूटने वालों को हम उठा-उठा कर पटकें, कर सकते सब ऐसा विश्वास जगाने निकला हूं।।* दो साझा पुस्तके जिसमे से एक "काव्य अंकुर" दूसरी "शुभमस्तु-5" प्रकाशित हुई हैं