क्षणिका

चार क्षणिकाएँ

कन्या संग 
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कन्या संग जब लड़का
फिरता है सात फेरे
उसके जीवन में
इंद्रधनुष के होते हैं घेरे
अपना वजूद 
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दोस्त बनकर दुश्मनी का खंजर
मत चलाइये
आप हैं सही आदमी की औलाद
प्रमाणित करके दिखाइए
गर जलन से मिटाना चाहते हो
किसी का वजूद
तो अपना वजूद
बड़ा करके दिखाइए
वजूद 
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उसने छह था
मेरा बुरा पल – पल
पर वजूद मेरामिट न सका
क्योंकि इरादे
नेक नहीं थे उसके |
अन्याय के खिलाफ़
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समाज के
तथाकथित ,
शुभचिंतकों ने सोचा
न्याय माँगने हेतु
संगठित हों |
वे हुए |
फिर मिलकर न्याय माँगने लगे
न्याय माँगते – माँगते
वे अन्याय पर उत्तर आए!