ग़ज़ल
मेरा ख्याल दिल में जब भी कभी आया होगा।
आँखों ने यूंही अश्कों को कहीं छुपाया होगा।
चाह तो तुम्हारे दिल में भी कायम है मगर;
गैरों के लिए झूठा वहम फिर लाया होगा।
कब तक छुपाओगे उल्फत की खुशबू को यूं;
मेरे ख्याल ने ही तुमको जब महकाया होगा।
इकरार उल्फत का जो कर लो तो सुनो ऐ हमनशीं;
तेरी राह में पलको को हमने बिछाया होगा।
तेरे इन्कार से कोई शिकवा न होगा पर;
मुस्कुरा के फिर जीना ना कभी आया होगा।
कामनी गुप्ता***
जम्मू !