यूँ दोस्त तो बेशुमार पाया
यूँ दोस्त तो बेशुमार पाया
फ़क़त उसी का न प्यार पाया
यकीन कैसे करूँ मैं जिसको
मुसीबतों में फ़रार पाया
हमेशा फूलों की आरज़ू में
हमेशा काँटों का हार पाया
है कौन जिसने मुहब्बतों में
है चैन पाया करार पाया
मुसीबतों में डरा नहीं जो
नसीब बिगड़ा संवार पाया
जो काम करते नहीं उसी की
निगाहों में आबशार पाया
अकेला ‘माही’ नहीं दिवाना
जहां को दिल का बिमार पाया
माही / 8511037804