गीत : कहने को शब ये ठन्डी है…
हर पल तेरी यादें हैं, रातो को भी ख्वाब में आये।
अबकी सावन कैसा आया, सीने में है आग लगाये।।
गम का सागर कितना गहरा, बाहर है दुनिया का पहरा।
नीचे पत्थर की जमीं हैं, जिन पर मै अब तक हॅू ठहरा।।
कैसे लोग वो सोते होगें, शोला जो सीने में दबाये
हर पल तेरी यादें हैं,……. सीने में है आग लगाये।।
कांटो की गलियों मेें चलते, दुनियां की रस्मों में जलते।
अब तक जितने गुलशन देखे, माली रोते ही हैं मिलते।
दुनियां के मेंले में देखो, वीरानापन लहराये-
हर पल तेरी यादें हैं,……. सीने में है आग लगाये।।
दीवाने सब राज है ठहरे, रस्म कोई हम जानें ना।
फतेह की राहों पर जाना है, कसम कोई हम माने ना।
कहने को शब ये ठन्डी है, रोज ये सेबको जलाये।
हर पल तेरी यादें हैं,……. सीने में है आग लगाये।।
— राज कुमार तिवारी (राज), बाराबंकी, उत्तर प्रदेश