कला आने लगी है
नज़्म
ज़ख़्मों से डर कर जीने में जीने का लुत्फ़ ही फ़ाख़्ता हो गया था,
ज़ख़्मों को मरहम बना लिया तो जीने की कला भी आने लगी है.
शेरों को समझने की कभी कोशिश ही नहीं की थी,
अब शेरों की गहराई में डूबकर उतराने की कला भी आने लगी है.
कविता लिखना तो दूर से पढ़ने से भी करता था किनारा,
अब कविता पढ़कर मौके पर चौका मारने की कला भी आने लगी है.
इंसानियत को समझा था मुंगेरी लाल का हसीन सपना
इंसानियत को करीब से देखा तो सपने देखने की कला भी आने लगी है.