प्रार्थना
मैय्या पूजा बिधि न ज्ञाना,कैसे का करी।।
खड्ग त्रिशूल हाथ मे शोभित,सिंह सवारी जाना।
दुष्ट विनाशक सुनिकै,मैया जी तौ बहुत डेराना।
मैय्या ऐसा दो वरदना गलती न करी।।
चन्द्रहास कर खप्पर लीन्हों,निश्चर मारन कारन।
मुण्डमाल गल मे शोभित है,भक्तों की भय हारन।
मैय्या ऐसा रूप दिखाना जिससे न डरी।।
पुस्तक,वीणा,माल हाथ मे,हंस सवारी जाना।
एक हाथ भक्तों के ऊपर, सदा छत्र सा ताना।
मैय्या दे दो बहुत सा ज्ञाना चरणन मा परी।।
उच्च शिखर गिरि वास तिहारो,पुत्र है तेरो नान्हा।
दुर्गम पन्थ अथाह भवन का,पता न मेरो जाना।
मैय्या जल्दी दौड़ के आना,आरति हम करी।।