कविता : सत्ता जहर है
सत्ता जहर है जिसका विष पी,
मैं नीलकंठ बन जाऊंगा।
“शिव” बनकर “शिव” करूंगा सबका,
भस्मासुर को मिटाऊंगा।
राजनीति की बात अजब है,
इसमें सब उल्टा होना है।
कर्म की अखंड ज्योति जलाकर,
इस भ्रम को मिटाऊंगा।
देश विकास की औषधि राजनीति,
असुरों ने इसे जहर बनाया।
मैं देश पुत्र बन देश बन्धु,
गंगा सा निर्मल बनाऊंगा।।
“कमल” हाथ तो लक्ष्मी साथ में,
भूले को स्मरण कराऊंगा।
विकासशील को विकसित करने,
ही सत्ता में आऊंगा।
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।। प्रदीप कुमार तिवारी ।।
करौंदी कला, सुलतानपुर
7537807761