मीत मेरे….
मेरे मन के मीत हो तुम
मेरे आँखों की तस्वीर हो तुम
उम्मीदों का दीप जलाए
ख्वाबों की तक़दीर हो तुम
मन-मन्दिर की पूजा हो तुम
मेरी प्रार्थना का स्वीकार हो तुम
जो मिट न सके कभी यादों से
वो गहरी अमिट छाप हो तुम
शरीर से जो कभी जुदा न होता
उस जीवन की परछाई हो तुम
इस तन की बुझती प्यास हो तुम
जज्बातों के सुखद एहसास हो तुम
जो शब्दों से वयाँ न हो उन
अनकही बातों की आवाज हो तुम
ओ सुन लो…मीत मेरे
ये जीवन तुमसे ही शुरू
और तुमपर ही खत्म है।