काव्यमय कथा-9 : कर भला तो हो भला
एक गुलाम भागकर पहुंचा,
एक घने जंगल में,
कोई शेर कराह रहा था,
जाने क्या था पग में!
पैर उठा देखा गुलाम ने,
कांटा एक गड़ा था,
खून बह रह टप-टप-टप-टप,
उसको दर्द बड़ा था.
बड़े प्रेम से उस गुलाम ने,
कांटा निकाला शेर का,
‘धन्यवाद’ कह शेर चल दिया,
छुपा गुलाम वहीं था.
राजा ने गुलाम ढुंढवाकर,
डाला उसी शेर के आगे,
शेर लगा तब उसे चूमने,
भाग गुलाम के जागे.