कविता

कुछ ऐसी बात…..

बातों ही बातों में
कुछ ऐसी बात हो गई
बन गया
मन से मन का रिश्ता
और हमें
खबर तक न लगी

कर लिया मेरे एहसासों ने
मुझसे ही धोखा
न जाने कब
करके मुझे बेखबर
कर लिया प्यार का सौदा

इजाजत नहीं थी मेरी
बने फिर से
कोई प्रेम कहानी
लेकिन
इस बत्तमीज दिल को
कौन समझाए
बना लिया उससे
रिश्ता गहरा

ये नादान दिल….
समझा कर
प्यार एक बार होता है
बार-बार नहीं

हाँ मानती हूँ
थोड़े जज्बात उभर आते है
कुछ एहसासी
रिश्तों के दरम्यान
पर इसे प्यार का नाम देना
सही तो नहीं

दिमाग समझता है
इस बात को
पर इस दिल की जींद
खत्म होती नहीं।

*बबली सिन्हा

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