कविता

कविता : प्रेम- संदेश

आकाश को निहारते मोर
सोच रहे , बादल भी इज्जत वाले हो गए
बिन बुलाए बरसते नहीं
शायद बदल को
कड़कड़ाती बिजली डराती होगी
सौतन की तरह ।

बादल का दिल पत्थर का नहीं होता
प्रेम जागृत होता है
आकर्षक सुंदर, धरती के लिए
धरती पर आने को
तरसते बादल
तभी तो सावन में
पानी का प्रेम -संदेशा भेजते रहे
रिमझिम फुहारों से ।

धरती का रोम -रोम, संदेशा पाकर
हरियाली बन खड़े हो जाते
मोर पंखों को फैलाकर
स्वागत हेतु नाचने लगते
किंतु बादल चले जाते
बेवफाई करके
छोड़ जाते हरियाली/ पानी की यादें
धरती पर
प्रेम संदेश के रूप में ।

संजय वर्मा “दृष्टि”

 

*संजय वर्मा 'दृष्टि'

पूरा नाम:- संजय वर्मा "दॄष्टि " 2-पिता का नाम:- श्री शांतीलालजी वर्मा 3-वर्तमान/स्थायी पता "-125 शहीद भगत सिंग मार्ग मनावर जिला -धार ( म प्र ) 454446 4-फोन नं/वाटस एप नं/ई मेल:- 07294 233656 /9893070756 /antriksh.sanjay@gmail.com 5-शिक्षा/जन्म तिथि- आय टी आय / 2-5-1962 (उज्जैन ) 6-व्यवसाय:- ड़ी एम (जल संसाधन विभाग ) 7-प्रकाशन विवरण .प्रकाशन - देश -विदेश की विभिन्न पत्र -पत्रिकाओं में रचनाएँ व् समाचार पत्रों में निरंतर रचनाओं और पत्र का प्रकाशन ,प्रकाशित काव्य कृति "दरवाजे पर दस्तक " खट्टे मीठे रिश्ते उपन्यास कनाडा -अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विश्व के 65 रचनाकारों में लेखनीयता में सहभागिता भारत की और से सम्मान-2015 /अनेक साहित्यिक संस्थाओं से सम्मानित -संस्थाओं से सम्बद्धता ):-शब्दप्रवाह उज्जैन ,यशधारा - धार, लघूकथा संस्था जबलपुर में उप संपादक -काव्य मंच/आकाशवाणी/ पर काव्य पाठ :-शगुन काव्य मंच